उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के द्वारा देहरादून की मशहूर चाय बागानों की भूमि का स्वरूप बदलकर उन्हें गन्ने, खीरे, तरबूज उगाए जाने के लिए दिए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की, मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक कुमार मेहरा की खंडपीठ ने सुनवाई के बाद अगली सुनवाई हेतु दो सप्ताह बाद की तिथि नियत की है |
हाईकोर्ट ने सरकार और याचिकाकर्ता से यह बताने के लिए कहा है कि इसके लिए टी बोर्ड और केंद्र सरकार की अनुमति ली गई थी या नहीं ? जो 1953 का टी एक्ट है उसका अनुपालन किया है या नहीं? दो सप्ताह में कोर्ट को इससे अवगत कराएं, अब मामले के लिए अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद की तिथि कोर्ट ने नियत की है |
मामले के मुताबिक, देहरादून के विकास नगर निवासी देवानंद ने नैनीताल उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि देहरादून का विकास नगर क्षेत्र टी बगान के लिए प्रतिबंधित क्षेत्र था, इस क्षेत्र में चाय के अलावा किसी भी कृषि कार्य करने की अनुमति नहीं थी, लेकिन जब से इस भूमि का उपयोग चाय के अलावा अन्य सीजनल कृषि के लिए किया जा रहा है, तब से इसका अस्तित्व खतरे में आ गया है, जनहित याचिका में राज्य सरकार से अनुरोध किया है कि क्षेत्र को टी स्टेट की धरोहर में ही विकसित किया जाए |
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