इस वर्ष रक्षाबंधन 9 अगस्त, शनिवार को मनाया जाएगा और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से यह पर्व अत्यंत शुभ संयोग लेकर आया है, इस बार भद्रा का साया नहीं रहेगा, जिससे दिन भर राखी बांधने के लिए शुभ समय उपलब्ध रहेगा |
भद्रा रहित रक्षाबंधन का पर्व अत्यधिक फलदायी माना जाता है |
रक्षाबंधन – प्रेम, रक्षा और विश्वास का पर्व :-
रक्षाबंधन भारतीय संस्कृति का वह त्योहार है जो भाई-बहन के रिश्ते को और अधिक प्रगाढ़ बनाता है, इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और साथ ही उसकी लंबी उम्र की कामना करती हैं, बदले में भाई जीवन भर उसकी रक्षा करने का संकल्प लेते हैं |
यह केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि भावनात्मक रूप से गहरे संबंधों की अभिव्यक्ति है |
इस बार भद्रा नहीं बनाएगी बाधा – दिल्ली के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित किशोर शर्मा ने जानकारी दी कि इस बार रक्षाबंधन के दिन भद्रा का साया नहीं रहेगा, ऋषिकेश पंचांग के अनुसार, भद्रा की शुरुआत 8 अगस्त को दोपहर 2:46 बजे हुई और समाप्ति उसी रात 1:55 बजे हो जाएगी, इसका मतलब है कि 9 अगस्त को सूर्योदय के समय भद्रा पूरी तरह समाप्त हो चुकी होगी |
क्या है राखी बांधने का शुभ मुहूर्त :-
किशोर शर्मा के अनुसार, रक्षाबंधन के दिन पूजा और राखी बांधने का सुबह समय सुबह 7 बजे से लेकर 9:30 बजे तक रहेगा, इसके अतिरिक्त, यदि कोई व्यक्ति देर से राखी बांधना चाहे, तो वह अभिजीत मुहूर्त—सुबह 11 बजे से दोपहर 12:30 बजे के बीच भी मन सकता है, इन दोनों ही समयों में शुभ फल की प्राप्ति होती है |
पौराणिक संदर्भों में रक्षासूत्र का महत्व :-
रक्षाबंधन का महत्व केवल आधुनिक भावनाओं तक सीमित नहीं है बल्कि महाभारत में द्रौपदी द्वारा श्रीकृष्ण को राखी बांधने की कथा हो, या फिर इंद्राणी द्वारा इंद्रदेव को युद्ध से पहले रक्षासूत्र बांधने की परंपरा, राखी का महत्व सदा से रहा है, यह केवल एक धागा नहीं, बल्कि शक्ति, सुरक्षा और विश्वास का प्रतीक है |
शनिवार को पड़ने से त्योहार और भी खास :-
इस वर्ष रक्षाबंधन शनिवार को पड़ रहा है, जिससे अधिकतर लोगों को अवकाश का लाभ मिलेगा और परिवार के साथ मिलकर त्योहार मनाने का अवसर मिलेगा, बाजारों में भी इस दिन खरीदारी की विशेष चहल-पहल देखने को मिलेगी, जो त्योहारी सीजन की शुरुआत मानी जा रही है |
इस बार राखी का त्योहार बन सकता है और भी यादगार :-
रक्षाबंधन 2025 का यह संयोग भद्रा रहित दिन, शुभ मुहूर्त और अवकाश के दिन पर पड़ना, इसे विशेष बना देता है, भाई-बहन इस दिन न केवल परंपराओं को निभाएंगे, बल्कि नए संकल्पों और विश्वास की डोर को और मजबूत करेंगे |
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