उत्तरकाशी – धराली गांव में आई आपदा ने न सिर्फ ज़मीनें छीनीं, बल्कि सपनों को भी मलबे में दफना दिया, होटल व्यवसायी भूपेंद्र पंवार की आंखों में आंसू हैं, जब वे बताते हैं कि कैसे उन्होंने अपनी जिंदगी की जमा-पूंजी से होम स्टे बनवाया था, और कैसे दो सेकंड की देरी उन्हें हमेशा के लिए मिटा सकती थी।
उत्तरकाशी धराली आपदा में अपना सब कुछ खो चुके होटल व्यवसायी भूपेंद्र पंवार की आंखों में आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं, उन्होंने बताया कि किस तरह से अप्रैल में ही जीवन भर की कमाई लगाकर यहां एक होम स्टे स्थापित किया था, उस समय लगा था कि सपना पूरा हो गया है, लेकिन किसे पता था कि महज पांच महीनों में कुछ ही सेकंड में वह सब कुछ उनकी आंखों के सामने तबाह हो जाएगा, बताया कि सीटियों की आवाज सुनकर वह और उनके साथ मौजूद चार अन्य लोग तेजी से भागे, अगर दो सेकंड देर हो जाती तो मलबे में कहीं खो जाते |
GIPHY App Key not set. Please check settings