उत्तराखंड – जीएसटी चोरी पर कर विभाग का बड़ा प्रहार
हरिद्वार: उत्तराखंड में कर विभाग ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए हरिद्वार जिले की तीन आयरन और स्टील निर्माता फर्मों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई उस समय की गई जब विभाग को लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि कई कंपनियां लंबे समय से जीएसटी चोरी में शामिल हैं। विभागीय टीम की इस कार्रवाई के दौरान भारी मात्रा में गड़बड़ियां सामने आईं और मौके पर ही 2.10 करोड़ रुपये की वसूली की गई।
उत्तराखंड – जीएसटी चोरी का मामला कोई नया नहीं है। राज्य कर विभाग समय-समय पर अलग-अलग जिलों में छापेमारी करता रहा है, लेकिन हरिद्वार में हुई हालिया कार्रवाई सबसे बड़ी कार्रवाइयों में से एक मानी जा रही है। यह छापा हरिद्वार संभाग के लक्सर क्षेत्र में स्थित तीन प्रमुख आयरन और स्टील निर्माता कंपनियों पर डाला गया।
जांच के दौरान पता चला कि इन फर्मों के कच्चे और तैयार माल के आंकड़ों में गंभीर विसंगतियां हैं। विभाग को यह भी जानकारी मिली कि ये कंपनियां लंबे समय से गलत तरीके से जीएसटी रिटर्न दाखिल कर रही थीं और अवैध इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का लाभ उठा रही थीं।
छापेमारी के दौरान सामने आई विसंगतियां
कर विभाग की टीम जब कंपनियों के गोदाम और कार्यालय में पहुँची तो पाया गया कि वास्तविक उत्पादन और दस्तावेजों में दर्ज आंकड़ों में बड़ा अंतर है। फर्मों ने अपने जीएसटी रिटर्न में कैश भुगतान को शून्य दर्शाया था, जबकि असलियत में उनके ऊपर करोड़ों का टैक्स बकाया था।
कंपनियों द्वारा की गई यह उत्तराखंड – जीएसटी चोरी न केवल सरकार के राजस्व को नुकसान पहुँचा रही थी, बल्कि ईमानदारी से कारोबार करने वाले उद्योगपतियों के लिए भी अनुचित प्रतिस्पर्धा पैदा कर रही थी।
मौके पर हुई तत्काल वसूली
आमतौर पर इस तरह की जांच के बाद टैक्स की वसूली में समय लगता है, लेकिन इस बार कर विभाग ने सख्ती दिखाते हुए मौके पर ही 2.10 करोड़ रुपये की वसूली कर ली। विभाग ने यह राशि सीधे सरकारी खाते में जमा कर दी, जिससे यह साफ हो गया कि आगे भी सरकार ऐसे मामलों में किसी तरह की ढिलाई नहीं बरतेगी।
दस्तावेज और बिल जब्त
छापेमारी के दौरान विभागीय अधिकारियों ने कंपनियों के दफ्तरों से कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, रजिस्टर और बिल जब्त किए। माना जा रहा है कि इन दस्तावेजों से भविष्य में और भी बड़े घोटाले सामने आ सकते हैं। फिलहाल, यह मामला राज्य कर विभाग की विशेष इकाई को सौंपा गया है, जो पूरे प्रकरण की गहन जांच करेगी।
लंबे समय से चल रहा था खेल
विभागीय सूत्रों के अनुसार, संबंधित कंपनियां लंबे समय से उत्तराखंड – जीएसटी चोरी में शामिल थीं। ये कंपनियां न केवल गलत तरीके से ITC क्लेम कर रही थीं, बल्कि टैक्स भुगतान से बचने के लिए फर्जी बिलिंग का सहारा भी ले रही थीं। जांच में यह भी सामने आया कि कई बार रिटर्न दाखिल करते समय कंपनियों ने वास्तविक लेनदेन को छिपाकर जीएसटी चोरी को अंजाम दिया।
कर आयुक्त का सख्त संदेश
राज्य कर आयुक्त सोनिका ने साफ कहा कि उत्तराखंड – जीएसटी चोरी किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार लगातार ऐसे मामलों पर निगरानी रख रही है और जिन भी कंपनियों पर कर चोरी का संदेह है, उन पर तुरंत छापेमारी की जाएगी।
उनका यह भी कहना था उत्तराखंड – जीएसटी चोरी में शामिल इकाइयों के खिलाफ न केवल आर्थिक दंड लगाया जाएगा बल्कि भविष्य में उनके लाइसेंस और पंजीकरण रद्द करने तक की कार्रवाई की जाएगी।
अधिकारी भी रहे शामिल
इस छापेमारी अभियान का नेतृत्व उपायुक्त दीपक कुमार ने किया। उनके साथ मनीषा सैनी और कार्तिकेय वर्मा समेत कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे। अधिकारियों ने बताया कि यह कार्रवाई विशेष अभियान का हिस्सा थी और आने वाले दिनों में और भी फर्मों की जांच की जाएगी।
क्यों बढ़ रही है उत्तराखंड – जीएसटी चोरी
विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तराखंड – जीएसटी चोरी बढ़ने के पीछे मुख्य कारण निगरानी तंत्र की कमी और फर्जी बिलिंग नेटवर्क का फैलाव है। छोटे और बड़े उद्योगपति टैक्स बचाने के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट का गलत उपयोग करते हैं। कई बार देखा गया है कि कुछ व्यापारी जानबूझकर कैश लेनदेन छुपा लेते हैं, जिससे सरकार को भारी नुकसान होता है।
राज्य को होने वाला नुकसान
एक अनुमान के मुताबिक, उत्तराखंड सरकार को हर साल जीएसटी चोरी की वजह से करोड़ों रुपये का नुकसान झेलना पड़ता है। यह पैसा यदि सही तरीके से सरकार के पास पहुँचे तो इसे शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और अन्य विकास कार्यों में खर्च किया जा सकता है। लेकिन कर चोरी करने वाले उद्योगपति व्यक्तिगत लाभ के लिए राज्य की आर्थिक रीढ़ पर चोट कर रहे हैं।
भविष्य की कार्यवाही
विभाग ने यह भी संकेत दिया है कि यह केवल शुरुआत है। आगे और भी आयरन-स्टील और अन्य सेक्टर की कंपनियों पर इसी तरह की छापेमारी की जाएगी। जांच पूरी होने के बाद बकाया टैक्स की वसूली के अलावा कंपनियों पर जुर्माना और अन्य दंडात्मक कार्रवाई भी होगी।
जनता से अपील
राज्य कर विभाग ने आम जनता और कारोबारियों से अपील की है कि वे किसी भी प्रकार की उत्तराखंड – जीएसटी चोरी की जानकारी विभाग तक पहुँचाएँ। इसके लिए विशेष हेल्पलाइन नंबर और ईमेल आईडी भी जारी किए गए हैं। विभाग का कहना है कि जनता की मदद से ही ऐसे मामलों पर पूरी तरह रोक लगाई जा सकती है।
निष्कर्ष
हरिद्वार में हुई यह छापेमारी स्पष्ट संदेश देती है कि उत्तराखंड – जीएसटी चोरी अब किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। राज्य सरकार और कर विभाग दोनों इस दिशा में बेहद सक्रिय हैं और भविष्य में और सख्त कदम उठाए जाने तय हैं।
इस कार्रवाई से जहां सरकारी खजाने को सीधा फायदा पहुँचा है, वहीं ईमानदारी से कारोबार करने वाले उद्योगपतियों का भी मनोबल बढ़ा है। आने वाले समय में यह देखना होगा कि राज्य कर विभाग अपनी इस मुहिम को कितनी सख्ती और पारदर्शिता के साथ आगे बढ़ाता है।
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