राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने वाला उत्तराखंड भले ही देश का पहला राज्य बन गया है, लेकिन इस नीति को लागू किए जाने के बाद भी कक्षा एक से पांचवीं तक के लिए पाठ्य पुस्तकें तैयार नहीं हो पाई हैं।राष्ट्रीय शिक्षा नीति को देशभर में लागू हुए पांच साल हो चुके हैं, इसके तहत उत्तराखंड के महाविद्यालयों में छात्र-छात्राओं को विषय चुनने की स्वतंत्रता दी गई है, लेकिन इसके लिए यहां पर्याप्त फैकल्टी नहीं हैं। वहीं, विद्यालयी शिक्षा में राज्य पाठ्यचर्या की रुपरेखा तैयार होने के बावजूद इसे अभी अनुमोदन नहीं मिला।स्कूली शिक्षा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने वाला उत्तराखंड भले ही देश का पहला राज्य बन गया है, लेकिन इस नीति को लागू किए जाने के बाद भी कक्षा एक से पांचवीं तक के लिए पाठ्य पुस्तकें तैयार नहीं हो पाई हैं। कक्षा नौ से 12 तक सेमेस्टर सिस्टम लागू नहीं है। अब तक विद्यालय मानक प्राधिकरण भी गठित नहीं हुआ, एससीईआरटी और डायट का अलग कैडर नहीं बना।एनईपी ने 5 + 3 + 3 + 4 का जो नया शैक्षणिक और पाठ्यक्रम ढांचा दिया है, उस पर भी अभी कुछ नहीं हुआ। इसके तहत स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम और शैक्षणिक ढांचे को पुनर्गठित किया जाना है। हालांकि 4447 आंगनबाड़ी केंद्रों का नाम बदलकर बालवाटिका कर दिया गया है। जिन आंगनबाड़ी केंद्रों को बालवाटिका बनाया गया है।वे भी अभी महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग के अधीन हैं। इनमें विद्यालयी शिक्षा विभाग का कितना दखल होगा और कैसे होगा यह भी अभी स्पष्ट नहीं है। वहीं, स्थानीयता को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा विभाग ने हमारी विरासत एवं विभूतियां पुस्तक तैयार की है।
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Uttarakhand News: राष्ट्रीय शिक्षा नीति …विषय चुनने की स्वतंत्रता दी पर महाविद्यालयों में फैकल्टी नहीं

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