PM Kisan Yojna में देरी की फसल: थौलधार के किसानों को इंतजार, दिल्ली वाले उठा रहे फायदा?
ब्लॉक आईडी के इंतजार में सूख रही उम्मीदें, अनिल पंवार (ADO) का बड़ा खुलासा, और सिस्टम पर उठते तीखे सवाल!
थौलधार ब्लॉक, टिहरी गढ़वाल — “किसानों की उम्मीदें सूख रही हैं, लेकिन सिस्टम के फाइलें आज भी ढीले चाल से सरक रही हैं!” — कुछ ऐसा ही हाल है थौलधार ब्लॉक का, जहां प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM Kisan Yojna) के लाभार्थियों को इंतजार की सूली पर लटकाया जा रहा है। और वजह क्या है? एक ब्लॉक आईडी, जो 24 मार्च से अब तक जन्म नहीं ले पाई है!
क्या है पूरा मामला?
अनिल पंवार, जो इस समय थौलधार में कृषि विकास अधिकारी (ADO) के पद पर हैं, ने एक चौंकाने वाला बयान दिया है। उनका कहना है कि ब्लॉक के पूर्व अधिकारी के रिटायर होने के बाद, ब्लॉक की नई आईडी के लिए आवेदन 24 मार्च को CO कार्यालय में कर दिया गया था, लेकिन अब तक वो ID जेनरेट नहीं हो सकी है।
अब इसका असर क्या है? PM किसान योजना की वेबसाइट पर लॉगिन ही नहीं हो पा रहा क्योंकि ब्लॉक ID के बिना अधिकारी कुछ भी एक्सेस नहीं कर सकते।
और इसका नतीजा ये है कि हर दिन 8 से 10 किसान, दूर-दराज के गांवों से थौलधार ब्लॉक ऑफिस पहुंचते हैं, लेकिन उन्हें निराश होकर लौटना पड़ता है।
“हमसे होता नहीं, और सिस्टम सुनता नहीं!” – ADO की पीड़ा
अनिल पंवार का साफ-साफ कहना है –
“हमें दुख होता है जब हम लोगों की मदद नहीं कर पाते। किसान दूर-दूर से आते हैं, उम्मीदें लेकर आते हैं। लेकिन जब हम खुद सिस्टम में लॉगिन नहीं कर पा रहे हैं, तो उनकी मदद कैसे करें?”
और सवाल यहीं नहीं रुकते…
दिल्ली में रहकर योजना का लाभ? क्या यह सही है?
एक और अहम मुद्दा जो इस बातचीत में सामने आया, वो है –
क्या कोई व्यक्ति जो दिल्ली में रह रहा है, वो भी इस योजना का लाभ ले सकता है?
जब उनसे ये पूछा गया, तो उनका जवाब था –
“हां, अगर किसी की खतौनी गांव की है, तो वो लाभ ले सकते हैं, चाहे वो दिल्ली में रह रहा हो।”
अब यहां बड़ा सवाल उठता है –
➡️ क्या ये सही है कि कोई व्यक्ति, जो शहर में बस चुका है, और शायद खेती भी नहीं कर रहा, वो भी उसी योजना से लाभ उठा रहा है जो गरीब किसानों के लिए बनाई गई थी?
➡️ क्या ये सिस्टम की खामियों का फायदा नहीं है?
जनता के सवाल: कर्मचारी आखिर कर क्या रहे हैं?
लोगों का गुस्सा भी अब फूटने लगा है। गांव के कई लोगों का कहना है –
“अगर ID नहीं बनी है तो पिछले 15 दिनों से कर्मचारी कर क्या रहे हैं? सिर्फ चाय और मोबाइल चला रहे हैं क्या? ये सिस्टम से मजाक है या जनता से?”
यह सवाल सिर्फ प्रशासन से नहीं, विभाग और सरकार दोनों से भी है –
“क्या ये ठीक है कि एक सरकारी योजना, जो किसानों के लिए जीवनदायिनी होनी चाहिए, वो एक आईडी ना बनने की वजह से थमी हुई है?”
कौन जिम्मेदार है इस सुस्ती का?
यहां सवाल विभाग से भी है:
- CO ऑफिस में 24 मार्च को आवेदन भेजने के बाद भी कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
- क्या विभागीय लापरवाही या जानबूझकर देरी इसके पीछे है?
- अगर रोजाना दर्जनों किसान निराश होकर लौट रहे हैं, तो क्या यही सुशासन है?
‘खेत में हल नहीं, सिस्टम में जाम’ – PM किसान योजना की जमीन पर सच्चाई
PM किसान योजना की वेबसाइट के अनुसार, यह योजना किसानों को हर साल 6,000 रुपये तीन किस्तों में देने के लिए बनाई गई है। इसका मकसद गरीब किसानों को सीधा आर्थिक सहयोग देना था।
लेकिन थौलधार जैसे ब्लॉकों में ब्लॉक ID ना होने की वजह से किसानों का रजिस्ट्रेशन ही नहीं हो पा रहा। इससे न सिर्फ किसानों को आर्थिक नुकसान हो रहा है, बल्कि सरकारी योजना की साख पर भी सवाल उठ रहे हैं।
“कागजों में योजना दौड़ रही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है।”
क्या कहता है नियम?
PM किसान योजना के नियमों के अनुसार:
- लाभार्थी के पास खतौनी/भूमि रिकार्ड होना चाहिए।
- आधार और बैंक लिंक होना जरूरी है।
- लाभार्थी किसी और सरकारी नौकरी में ना हो।
तो यहां सवाल उठता है –
➡️ जो लोग दिल्ली में रह रहे हैं और वहां नौकरी भी कर रहे हैं, क्या वो इस योजना के दायरे में आते हैं?
➡️ क्या सिर्फ खतौनी से किसी को लाभ देना सही है, अगर वो खेती नहीं कर रहा हो?
विभाग, सरकार और जनता – तीनों से सवाल
विभाग से:
- ब्लॉक ID के लिए फॉलो-अप क्यों नहीं हुआ?
- जनता को इसकी जानकारी क्यों नहीं दी गई?
सरकार से:
- क्या ये आपकी निगरानी प्रणाली की नाकामी नहीं है?
- क्या डिजिटल इंडिया का मतलब सिर्फ वेबसाइट बनाना है?
जनता से:
- क्या हमें इस पर चुप रहना चाहिए?
- क्या हम ऐसे सिस्टम को स्वीकार कर लें, जो हमारे हकों की अनदेखी कर रहा है?
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