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Summit: उत्तर कोरिया ने जापान के समिट में दिलचस्पी नहीं दिखाई, और बातचीतों को नकारा।

उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन की शक्तिशाली बहन किम यो जोंग ने कहा कि जापान ने संपर्क किया था और बिना किसी पूर्व शर्त के शिखर सम्मेलन (Summit) के लिए कहा था।

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उत्तर कोरिया का कहना है कि जापान के साथ सम्मेलन में रुचि नहीं, अधिक बातचीत को नकारता है।

Summit: उत्तर कोरिया और जापान के बिच।

सीओल (International news): उत्तर कोरिया ने जापान के साथ समिट (Summit 2024) में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई, और अधिक बातचीतों की अस्वीकृति की घोषणा की है। पिछले कुछ सालों से, उत्तर कोरिया और जापान के बीच द्विपक्षीय संबंधों में उच्चतम स्तर की संवाद की तलाश की जा रही थी, लेकिन इस (Summit) स्थिति की घोषणा इस दरम्यान की जा रही है जब अमेरिका के नेतृत्व वाले परमाणु विकसित हवाई हमलों के खतरे और चीन के साथ व्यापक संबंधों के बारे में चिंताएं उभर रही हैं।

उत्तर कोरिया और जापान
उत्तर कोरिया का कहना है कि जापान के साथ सम्मेलन में रुचि नहीं, अधिक बातचीत को नकारता है।

जापान की ओर से, प्रधानमंत्री फुमियो किशिडा ने उत्तर कोरिया के साथ संबंधों को सुधारने की कोशिश की है, लेकिन यह घोषणा इसे वापस लेकर आई है कि संबंधों को फिर से स्थिर करने के लिए काफी समय और प्रयास चाहिए। इस (Summit) विषय पर, उत्तर कोरिया ने जापान के संबंध में कठोर भाषा का इस्तेमाल किया और अधिक बातचीतों की अस्वीकृति का इंकार किया।

उत्तर कोरिया के प्रवक्ता ने बताया कि उनका देश नापाक विवाद, अवसाद, और संकीर्णता के कारण जापान के साथ बातचीतों को अग्रसर करने का इरादा नहीं रखता। उन्होंने कहा कि जापान के प्रति उनका रुख बिल्कुल भी बदलने की कोई संभावना नहीं है और इसे भारतीय क्षेत्र के संबंध में अपने राजनीतिक विचार के संगठनात्मक सिद्धांतों के साथ इस (Summit) को जोड़ा गया है।

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इस तरह के बातचीतों और युद्ध भंग के बावजूद, जापान ने उत्तर कोरिया के साथ संबंधों की बातचीत में आगे बढ़ने का आह्वान किया है। यह बयान संबंधित दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों की तनावपूर्ण स्थिति को समझाता है, जो दक्षिणी एशियाई क्षेत्र में सुरक्षा की स्थिति को गंभीरता से देखने का कारण बन रही है।

नापाक और जापान के बीच द्विपक्षीय संबंधों की चुनौतियों में से एक मुख्य चुनौती तारा नापाक के साथ जापान की राष्ट्रीय नीतियों और विदेश नीतियों की तारीख के लिए है, जो इसे विशेष रूप से जर्मन बंधुत्व की स्मृति से दूर रखने के लिए कोशिश कर रही है। जापान की सुरक्षा प्रशासन, सामान्यतः, अमेरिकी संरक्षण पर आधारित होती है, लेकिन यह भी उत्तरी कोरियाई नापाक के खिलाफ सीमाओं की सुरक्षा के लिए अपनी स्वाधीनता बढ़ाने का प्रयास कर रही है। यह समाधान में एक नई चुनौती पैदा कर सकता है, जो इस बात को दर्शाता है कि उत्तरी कोरिया और जापान के बीच आनेवाले दिनों में संबंधों में एक नई ताक़त की आवश्यकता हो सकती है।

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Written by Neeraj Gusain

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