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Uttarkashi Cloudburst: उल्टी बही तो सुखदाई खीर गंगा, सीधी चली तो मची तबाही, इस विश्लेषण में त्रासदी की वजह

दून विश्वविद्यालय के हिमालयन रिसर्च एवं अध्ययन केंद्र के प्रोफेसर डीडी चुनियाल ने उत्तरकाशी में आई त्रासदी के बाद विश्लेषण किया है, जिसमें उन्होंने बताया कि फ्लड प्लेन को घेरकर नई बस्ती बसाई गई थी। पूर्वजों के बसाए गांव को छू भी नहीं पाया त्रासदी का जल प्रवाह।इंंसानी अतिक्रमण से खीर गंगा वर्षों तक उल्टी बहने को मजबूर हुईं। अब भागीरथी की इस सहायक नदी ने जब अपना वास्तविक पथ पकड़ा तो अपने साथ तबाही लेकर आई। लाखों बोल्डर और मलबे को लेकर आया जल सैलाब धराली की इस नई बस्ती को अपने साथ बहा ले गया। त्रासदी के बाद यह विश्लेषण दून विश्वविद्यालय के नित्यानंद हिमालयन रिसर्च सेंटर के प्रोफेसर डीडी चुनियाल ने किया है। उन्होंने उपग्रह चित्रों से इस पूरी त्रासदी को समझाया कि वास्तव में धराली में जो हुआ वह बीते वर्षों में मानवीय हस्तक्षेप का ही नतीजा हैपुराने धराली गांव को तो यह जल प्रलय छू भी नहीं सकी। प्रोफेसर डीडी चुनियाल ने बताया कि खीर गंगा धराली गांव के पास भागीरथी नदी में मिलती है। वर्षों से यह नए-नए फ्लड प्लेन बनाती आ रही थी। इस बीच एक फ्लड प्लेन बना और इस पर स्थानीय लोग खेती करने लगे। इसी कृषि भूमि से होकर खीर गंगा भागीरथी में जाकर मिलती थी।

 

नई बसाई गई बस्ती को तबाह करते हुए भागीरथी में जा मिला।
बीते कई वर्षों में इस फ्लड जोन पर निर्माण कार्य होने लगा। दर्जनों होटल और बाजार बन गए। इस अतिक्रमण के चलते खीर गंगा अपने वास्तविक पथ को छोड़कर दूसरी तरफ से जाकर भागीरथी में मिलने लगी। यह रास्ता नदी के लिए बिल्कुल भी सहज नहीं था। हालात ये बने कि इस अतिक्रमण के चलते खीर गंगा अपना रास्ता छोड़कर उल्टी (उत्तर की दिशा में) बहने को मजबूर हो गई।

उसे कभी न कभी अपने वास्तविक पथ पर आना ही था। यही मंगलवार की दोपहर हुआ भी। नदी का पानी तीव्र ढाल से होते हुए लाखों बोल्डरों के साथ नीचे उतरा तो उसने अपना वास्तविक पथ पकड़ लिया और अपने साथ इस नई बसाई गई बस्ती को तबाह करते हुए भागीरथी में जा मिला। 

ताल भरे, टूटे और मिलकर तबाही ले चले

 

प्रोफेसर चुनियाल ने उपग्रह के चित्रों में खीर गंगा के उद्गम स्थल (ग्लेशियर) को भी दिखाया। उन्होंने विश्लेषण करते हुए बताया कि यहां पर सैकड़ों छोटे-छोटे ताल बने हुए हैं। ग्लेशियर एक तीव्र ढाल है। यहां पानी इकट्ठा हुआ तो सभी ताल भरने लगे। एक ताल टूटा तो उसने अगले ताल को भर दिया। पानी का दबाव तालों से सहा नहीं गया तो यह बोल्डर व अन्य मलबा लेकर आगे बढ़ा और नीचे धराली में तबाही मचा दी।

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Written by Prachi Saklani

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