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उत्तराखंड में पंचायतों का कार्यकाल समाप्त, ये आदेश हुआ जारी

उत्तराखंड में पंचायतों का कार्यकाल समाप्त,

देहरादूनः उत्तराखंड में हरिद्वार जिले को छोड़कर सभी जनपदों में ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हो गया है। ऐसे में सरकार ने राज्य के पंचायत राज विभाग के माध्यम से एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए अब नई पंचायतों के गठन तक प्रशासकों की नियुक्ति करने का फैसला लिया है। ऐसे में कांग्रेस ने धामी सरकार को घेरते हुए गंभीर आरोप लगाए है।

मिली जानकारी के अनुसार राज्य के अन्य सभी जनपदों में पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है, लेकिन हरिद्वार जिले को इस निर्णय से अलग रखा गया है। हरिद्वार जिले की पंचायतों का कार्यकाल अभी जारी है, और उनके चुनाव की प्रक्रिया को लेकर कोई बदलाव नहीं किया गया है। सरकार ने जिलाधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे जल्द से जल्द प्रशासकों की नियुक्ति करें। प्रशासक अपने क्षेत्र के पंचायत कार्यों का सुचारू संचालन सुनिश्चित करेंगे। प्रशासकों को केवल नियमित कार्यों की अनुमति होगी, और वे नीतिगत निर्णय लेने के अधिकारी नहीं होंगे।

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बता दें कि संविधान के अनुच्छेद 243 के तहत पंचायतों का कार्यकाल पांच वर्षों का होता है, पांच साल समाप्त होने पर कार्यकाल समाप्त हो गया है। ऐसे में अब उत्तराखंड पंचायत राज अधिनियम, 2016 और संशोधित अधिनियम, 2020 के प्रावधानों के तहत, नई पंचायतों के गठन तक ग्राम पंचायतों का कार्यभार विकास खंड के सहायक विकास अधिकारियों को सौंपा जाएगा। ये प्रशासक पंचायतों के सामान्य प्रशासनिक कार्य संभालेंगे, लेकिन उन्हें नीतिगत निर्णय लेने की अनुमति नहीं होगी। यह व्यवस्था नई पंचायतों के चुनाव तक प्रभावी रहेगी।

वहीं सरकार को घेरते हुए कांग्रेस प्रवक्ता व वरिष्ठ नेता अभिनव थापर ने कहा कि निगम के बाद पंचायत चुनाव में भी हार के डर से भाजपा ने प्रशासक बैठाए। भाजपा सरकार अब पंचायतों में सरकारी मशीनरी के सहारे अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने का काम करेंगे। भाजपा सरकार को 2 दिसम्बर 2023 तक नगर निकाय चुनाव कराने थे और 1 साल से अधिक समय बीत जाने पर भी अभी तक निकाय आरक्षण तक नहीं हुआ है, इसी प्रकार अब पंचायतों के चुनाव भी हार के डर से भाजपा ने चुनाव टालने के लिए प्रशासकों की नियुक्ति को कर दिया है।

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Written by Neeraj Gusain

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