in ,

मंगशीर की बग्वाल का क्या है इतिहास, क्यों एक माह बाद यहां मनाई जाती है दिवाली

टिहरीः उत्तराखंड के टिहरी घनसाली के बूढ़ाकेदार क्षेत्र में इन दिनों बग्वाल की धूम है। यहा आज छोटी दिवाली मनाई जा रही है। कल 30 नवंबर को मंगशीर की दीपावली (बग्वाल) मनाई जाएगी। 1 दिसंबर से गुरु कैलापीर तीन दिवसीय मेला शुरू होगा। जिसकी तैयारियां पूर्ण हो गई है। थाती कठूड के बूढाकेदार गांव में गुरू कैलापीर बलिराज बग्वाल महोत्सव का इतिहास लगभग 500 साल से भी पुराना है। बताया जाता है कि 13वीं शताब्दी से टिहरी रिसासत के राजशाही समय से तीन पट्टियों में मनायी जाती आ रही है। आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से…

गुरू कैलापीर बलिराज-बग्वाल महोत्सव सामान्यत: कार्तिक माह की दीपावली के ठीक एक माह बाद मार्गशीर्ष (मंगसीर) में मनायी जाने वाली स्थानीय दिवाली व मेला (बग्वाल-बदराज) है जो कि क्षेत्र के देवता श्री गुरू कैलापीर के गांव आगमन व महिमा के हर्षोलास में मनायी जाती है। इसकी धूम आज भी बूढाकेदार में देखी जा सकती है। बता दें कि कैलापीर योद्धाओं के आराध्य देव थे, जिस कारण श्रीनगर के राजा मानशाह ने गोरखाओं के विरुद्ध युद्ध में कैलापीर को आमन्त्रित किया, देवता द्वारा बोगस्याली विद्या से गोरखाओं को परास्त कर राजा मानशाह को जीत दिलायी।

बताया जाता है कि इस विजय की खुशी में राजा ने कैलापीर को तीन कठुड (थाती कठुड, गाजणा कठुड, नाल्ड कठुड) जो नब्बे जूला कठुड कहा जाता है तथा कुश कल्याण बुग्याल से आय की जागीर भेंट की 18वीं शताब्दी में गढ़वाल मण्डल में गोरखाओं द्वारा पुन: अत्याचार बढ‍़ने लगे तब राजा सुदर्शन शाह की माता रानी के स्वप्न में आकर कैलापीर ने गोरखाओं को परास्त करने के दिशा निर्देश दिए। गुरु कैलापीर के बताये मार्गदर्शन के फलस्वरूप रानी ने ब्रिटिश हुकुमतों से मदद मांगी व गोरखाओं को परास्त कर वापस नेपाल खदेड दिया। तब से देवता की महिमा तीनों कठुडों मे फैल गयी व बलिराज मेले में विजय दौड़ का प्रचलन हुआ ।

बूढ़ाकेदार गुरु कैलापीर मंदिर समिति के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह नेगी ने बताया 30 नवंबर को मंगशीर की बग्वाल मनाने के बाद 1 दिसंबर को सुबह श्रद्धालु मंदिर में गुरु कैलापीर देवता की पूजा-अर्चना करेंगे। उसके बाद तय समय पर गुरु कैलापीर देवता के निशान को मंदिर से बाहर लाया जाएगा, जिसके बाद गुरु कैलापीर के पश्वा देवता के निशान को कंधे पर उठाकर सैकड़ों श्रद्धालुओं के साथ पुंडारा के सेरा में दौड़ लाएंगे।

What do you think?

Written by Neeraj Gusain

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

GIPHY App Key not set. Please check settings

नेशनल विंटर गेम्स की भी उत्तराखंड को मिली मेजबानी, 29 जनवरी से होंगे गेम्स

सीएम धामी ने अधिकारियों संग की उच्च स्तरीय बैठक, दिए ये सख्त निर्देश